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दपक भरतदप क शबदयग सरथ-पतरक

दपक भरतदप क शबदयग सरथ-पतरक. सकलक,लखक सपदक-दपक रज ककरज भरतदप,गवलयरमधयपरदश Writer and Editor-Deepak Raj Kukreja, BharatDeep, Gwalior Madhya Pradesh. समसत बलगपतरक क सकलन यह पढ-. दपक भरतदप क हद कसर पतरक. Tuesday, August 11, 2015. दपक रज ककरज भरतदप. गवलयर मधयपरदश. Deepak Raj Kukreja Bharatdeep. Athor and editor-Deepak Raj Kukreja Bharatdeep,Gwalior. Http zeedipak.blogspot.com. 2शबदलख सरथ. दपक भरतदप. Friday, August 07, 2015.

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द पक भ रतद प क धर म सन द श-पत र क. मनस व प र ष ह ज वन क आन द उठ त ह -ग र प र ण म पर व श ष ह न द ल ख. भर त हर न त शतक म कह गय ह क. क वच त प थ व शय य क वच दप च पर वङ कशयन क वच छ क ह र क वच दप च श ल य दनर च. क वच त कन ध ध र क वच दप च द व य भवरधर मनस व क र य र थ न गपयत द ख न च स खम. ग व ल यर मध यप रद श. 2शब दल ख स रथ.

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यह पत र क -ब ल ग कह भ ल क करन क अन मत ब न क स भ गत न क नह द य ज य ग . अगर ब न अन मत क इस कह द ख य गय त दस हज र र पय क भ गत न करन ह ग ल खक एव सम प दक -द पक भ रतद प, ग व ल यर. स व द ल भ अन न क पचन न ज न -द पकब प व ण. सभ इ स न स वभ व स च कन ह , स व र थ क म ल हर जगह ब कन ह. स म न क द म ऊ च ई पर डट ह , सम ज म र श त क द म घट ह. सम ज कल य ण क ल.

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द पक भ रतद प क ह द पत र क. प रच र म ध यम प क स त न स बदल ल न क उत वल न मच य , स घर ष ल ब ख च सकत ह -ह न द ल ख. म सम क बदलन , ख त म आग लग न तथ द प वल पर शहर म स म ह क र प स स फ सफ ई क वजह स व स भ सभ जगह पर य वरण प रद षण बढ त ह ऐस म पट ख क ह ज म म द र म नन क य ठ क ह? जबक अन क व हन त व स भ प रद षण फ ल त रहत ह. ह न द द वस पर द पकब प व ण. ह दय धड़क म त भ ष म. भ व पर य ब ज़ र म मत ख ल. कह द पकब प ख श ह य गम. द ल क जज ब त अपन ह. अपन ज ब ह न द म ब ल. अ ग र ज म सम म न कम य नह.

दपक भरतदप क ई-पतरक Deepak BharatdepS E-Megazine यह पतरक दश-वदश म रहन वल भरतय क लय परसतत क गय ह इसम परतदन रचनए परसतत क जयग, जसम आधयतम, सहतय एव समजक चरच करत ह

एश य ई ह क म प क पर ज त स प रच र म ध यम म ख श द खन ह थ -ह न द ल ख. वह ह त त आज उस हम इस तरह अपन शयनकक ष क पल ग क न च द बक द त. ध र म क ग र थ क ब त पहल समझ फ र व यक त कर -ह न द ल ख. बह त ढ ढन पर ह अथर वव द स यह श ल क म ल. आ ज ह व य म रद व न त भस व क रव य द व ष टब प धत सव सन. म र ख क अपन ज भ र प ज व ल स स ध र और बलव न ह कर म स ह र ह स क क अपन प रव त त स न व त त कर.

दपक भरतदप क शबदलख-पतरक यह पतरक दश-वदश म रहन वल भरतय क लय परसतत क गय ह इसम परतदन रचनए परसतत क जयग, जसम आधयतम, सहतय एव समजक चरच करत हए आलख, वयग, कहन, कवतए तथ शसतर क जञन सब

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